1 सितम्बर 2025 को शेयर बाज़ार नियामक SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने एक नया सर्कुलर जारी किया है, जिसके तहत इंट्रा-डे ट्रेडिंग लिमिट्स को कई गुना बढ़ा दिया गया है। यह बदलाव 1 अक्टूबर 2025 से लागू होगा।पहली नज़र में यह एक साधारण अपडेट लग सकता है। लेकिन असली सवाल यह है — क्या यह फैसला सचमुच बाज़ार के लिए है या सिर्फ़ बड़े खिलाड़ियों के लिए?
Jane Street का संदर्भ
कुछ समय पहले SEBI ने वैश्विक ट्रेडिंग फर्म Jane Street पर लगभग ₹4843 करोड़ का जुर्माना लगाया था। आश्चर्य की बात यह रही कि कंपनी ने तुरंत यह राशि जमा कर दी और कोर्ट जाने के बजाय SEBI के साथ मिलकर ऐसे नियम बनाने में लग गई, जो उसके व्यवसाय के अनुकूल हों।
सीधी बात है — नियम तभी समस्या बनते हैं जब वे आपके खिलाफ हों। अगर नियम आपके हिसाब से ही बन जाएं, तो खेल आसान हो जाता है। SEBI का यह नया सर्कुलर भी कुछ ऐसा ही संकेत देता है।
क्या बदला है?
- इंट्रा-डे नेट पोज़िशन लिमिट:
पहले ₹1500 करोड़, अब बढ़ाकर ₹5000 करोड़। - इंट्रा-डे ग्रॉस पोज़िशन लिमिट:
अब ₹10,000 करोड़। यानी एक ही दिन में ₹10,000 करोड़ की लॉन्ग पोज़िशन और उतनी ही शॉर्ट पोज़िशन ली जा सकती है।
यह स्तर किसी आम निवेशक की पहुंच से बाहर है। साफ है कि यह बदलाव संस्थागत निवेशकों और बड़े खिलाड़ियों के लिए ही है।
निगरानी कौन करेगा?
पोज़िशन लिमिट की निगरानी की जिम्मेदारी BSE और NSE को दी गई है। लेकिन यहाँ बड़ी चिंता यह है कि निगरानी रीयल-टाइम में नहीं होगी।
एक्सचेंज सिर्फ़ दिन में 4 बार स्नैपशॉट लेंगे। इनमें से एक स्नैपशॉट 2:45 बजे से 3:30 बजे के बीच लिया जाएगा — वह समय जब बाज़ार में ओपन इंटरेस्ट सबसे तेजी से बदलता है।
सवाल यह है कि क्या इस तरह के स्नैपशॉट वाकई पर्याप्त हैं? या यह सिर्फ़ निगरानी का एक दिखावा है — जैसे “बिल्ली करे दूध की रखवाली।”
अतिरिक्त लीवरेज का प्रावधान
अगर किसी ट्रेडर के पास कैश, शेयर या सरकारी प्रतिभूतियाँ हैं, तो उसके आधार पर वह अतिरिक्त पोज़िशन भी ले सकता है।
यानी बड़े खिलाड़ियों को अब और ज्यादा लीवरेज मिल गया है।
दंड का प्रावधान
यह सच है कि लिमिट का उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान है। एक्सचेंज नोटिस भेज सकते हैं, ट्रेडिंग पैटर्न की समीक्षा कर सकते हैं और ज़रूरत पड़ने पर जुर्माना भी लगा सकते हैं — खासकर एक्सपायरी के दिन।
लेकिन जब निगरानी ही ढीली हो, तो नियम तोड़ने वालों को पकड़ना आसान नहीं होगा।
बाज़ार का संकेत
इस सर्कुलर का असर तुरंत दिखाई दिया। BSE के शेयर में तेज़ उछाल यह बताने के लिए काफी है कि असली फायदा किसे मिलने वाला है।
निष्कर्ष
SEBI का यह नया ढांचा इंट्रा-डे ट्रेडिंग की क्षमता को कई गुना बढ़ाता है। लेकिन हकीकत यह है कि इससे फायदा केवल बड़े संस्थागत खिलाड़ियों को होगा, न कि खुदरा निवेशकों को।
इतनी बड़ी लिमिट्स, ढीली निगरानी और अतिरिक्त लीवरेज — सब मिलकर बड़े निवेशकों को और ताकतवर बना देंगे।
अब बड़ा सवाल यही है:
क्या यह कदम बाज़ार को स्थिर करेगा, या कुछ चुनिंदा कंपनियों के हाथों में और ज्यादा ताक़त सौंप देगा?